माफीनामा (कविता-2) Maafinama-poem-2
हे प्रिय तुम अब तक न आएमैं बैठा, लिए एक आशा हूं इस बार स्वाती भी न बरसामैं अब तक […]
हे प्रिय तुम अब तक न आएमैं बैठा, लिए एक आशा हूं इस बार स्वाती भी न बरसामैं अब तक […]
प्रेम करु तुमसे अन्नतहारा ह्रदय हारा हू मन मेरे हिय में स्वयं की तस्वीर सोचा हैमेरे मन मंदिर में तू