मेरी कविता

कल रात मेरे दरवाजे को एक खुश्बू छूकर गुजर गई

वीरा था दिल का चमन, वो महका कर गुजर गई !

मैं जानता हूं इस जनम, मिलन मुमकिन नही उनसे

वो किसी और जनम का पता बताकर गुजर गई !

जो वादे दिल से नही होते वो टूट जाते है अक्सर

किसी ने मुझसे भी किया था कभी, पर वो बिसर गई !

मैं किसी को नही तोलता अच्छाई और बुराई से

वो मेरे लिए है कीमती , उसे वो दिल में बसा कर गुजर गई !

वो साथ है तो अहसास हैं, जिंदा होने की

उसे दीवानी और मुझे दीवाना बना कर गुजर गई !!

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